क्या आप जानते हैं कि मनुष्य पवित्र परमेश्वर के द्वारा पाप का दोषी पाया गया है, और उसे मृत्यु की दण्डाज्ञा दी गयी है? यदि उसे इस अनन्त मृत्यु से बचना है और अनंतकाल के लिए उद्धार पाना है, तो उसे परमेश्वर की करुणा को पाने की आवश्यकता है| इस दृष्टि में करुणा का अर्थ है: परमेश्वर का मनुष्य को उस सजा से अलग रखना, जिसका वह योग्य है। किन्तु परमेश्वर बिना शर्त के अपनी करुणा मनुष्य पर प्रतिपादन नहीं करतें, जबकि उद्धार मुफ्त है, उसका कोई मूल्य नहीं और न ही उसे कमाया जा सकता है। जिस शर्त पर परमेश्वर करुणा देते हैं, वह शर्त है पश्चाताप।
बपतिस्मा देनेवाले यूहन्ना ने परमेश्वर का वचन सुनाया और उसका सन्देश सहज और शक्तिशाली था: “मन फिराओ; क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट है!” (मत्ती ३:२)। परमेश्वर के पुत्र यीशु ने भी ऐसे ही संदेश से अपनी सेवकाई प्रारम्भ की: “अपने पापों से मन फिराओ; क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है!” (मत्ती ४:१७)। पश्चाताप करना उद्धार के लिए आवश्यक है, जैसा कि प्रेरित पतरस ने भी कहा: “इसलिए अपने पापों से मन फिराओ और परमेश्वर के पास लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिट जाए” (प्रेरितों के काम ३:१९)। पश्चाताप के द्वारा करुणा का दरवाजा खुला है और उद्धार प्राप्त होता है।
सब ने पाप किया है
हमारे संसार में अनगिनत लोग हैं और कई प्रकार से हम एक दूसरे से भिन्न हैं। किन्तु इस सन्देश को हम सब बांटते हैं: “सब ने पाप किया है, और सब परमेश्वर की महिमा से वंचित हो गए हैं” (रोमियों ३:२३) | और आगे सुनें: “कोई भी मनुष्य धर्मी नहीं, एक भी नहीं” (रोमियों ३:१३)। परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ता यशायाह के द्वारा कहा: “हम तो सब के सब भेड़ों की नाई भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना-अपना मार्ग लिया” (यशायाह ५३:६)। क्या आप पवित्र बाइबल के इन पदों के प्रधान विचार, “सब के सब भेड़ों की नाई भटक गए थे”, “सब ने पाप किया है” और “कोई भी धर्मी नहीं” पर गौर करते हैं? क्या आप इसमें शामिल नहीं? आपकी आत्मा और आपका जीवन परमेश्वर का है। जो पुरुष या स्त्री, परमेश्वर को अपने जीवन का स्वामी नहीं मानता, वह आज्ञा उल्लंघन करते है और पाप में जीवन जीता है। “जो प्राणी पाप करे, वह मर जाएगा” (यहेजकेल १८:४)।
पाप सम्बन्ध-विच्छेद करता है
आपके पाप ने आपको परमेश्वर से अलग कर दिया है। आप अपने भीतर एक लालसा का अनुभव करते हैं। किन्तु उसे समझ नहीं पातें। आप खुद के त्याग दिए जाने का अनुभव कर सकते हैं और ऐसा भी सोच सकते हैं कि परमेश्वर नहीं सुनतें। परमेश्वर के द्वारा इसका कारण बताया गया है: “देखो, प्रभु का हाथ ऐसा छोटा नहीं हो गया कि उद्धार न कर सके, न वह ऐसा बहिरा हो गया है कि सुन न सके; परन्तु तुम्हारे अधर्म के कामों ने तुम को तुम्हारे परमेश्वर से अलग कर दिया है और तुम्हारे पापों के कारण उसका मुंह तुमसे ऐसा छिपा है कि वह नहीं सुनता” (यशायाह ५९:१-२)| फिर आप यह न भूलें: “पाप की मजदूरी मृत्यु है” (रोमियों ६:२३) | जब आप अपने जीवन और अपने पाप के बारे में सोचते हैं, तो परमेश्वर के विषय में भी सोचें! परमेश्वर पाप रहित हैं। इस कारण वे पवित्र, सच्चे और निष्पक्ष हैं| परमेश्वर कहते हैं कि पाप का न्याय अवश्य किया जाएगा, जैसे लिखा है: “क्योंकि परमेश्वर सब कामों और सब गुप्त बातों का, चाहे वे भली या बुरी हों, न्याय करेगा” (सभोपदेशक १२:१४)। आप के और परमेश्वर के बीच एक बड़ी खाई है। जब तक हम उस मार्ग का पता नहीं कर लेते, जो पवित्र परमेश्वर और पापी मनुष्य के बीच की खाई पर पुल बांधता है, हम अनन्त मृत्यु के भागी बन जाएंगे (लूका १६:२६) | लेकिन सुनें, आपके लिए एक मार्ग है और एक आशा है।
प्रभु यीशु द्वार खोलते हैं
जब कि यह सच है कि परमेश्वर ने पाप के ऊपर मृत्यु का दण्ड ठहराया है। फिर भी, वे प्रेम करनेवाले परमेश्वर हैं। “परमेश्वर प्रेम हैं” (१ यूहन्ना :४६)। पाप में रहने के बावजूद परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं। उसके प्रेम ने आपको बचाने के लिए जरिया बनाया है (यूहन्ना ३:१६)। परमेश्वर पाप पर अपना न्याय कायम रखेंगे और यदि मनुष्य को इस न्याय की परिधि में रख दिया जाए, तो वह अवश्य मर जाएगा। परमेश्वर नहीं चाहते हैं कि कोई भी नाश हो। इस कारण उन्होंने अपने पुत्र यीशु को हमारे पापों का जुर्माना चुकाने भेजा ताकि हम जी सकें। पवित्र बाइबल कहती है: “परमेश्वर की कृपा और कड़ाई को देखें” (रोमियों ११:२२)। परमेश्वर की दया मनुष्य को बचाना चाहती है; किन्तु उसका न्याय सजा की मांग करता है।
प्रभु यीशु इस संसार में हमारी आत्मा को बचाने के अभिप्राय से आएं। वह पवित्र, पाप रहित, परमेश्वर की निष्कलंक मेम्ना थे | परमेश्वर का प्रेम हमारे लिए उस वक्त प्रमाणित हो गया, जब उसने हमारे पापों और अपराधों को लेकर प्रभु यीशु पर लाद दिया था। उसकी दया को देखें। प्रभु यीशु हमारी जगह पर पाप बन गए थे और परमेश्वर के न्याय को संतुष्ट करने के लिए उसे सूली पर चढ़ा दिया गया। उसने कष्ट और यातनाएं सहीं और तत्पश्चात् वह मर गए। ऐसा हमारे पापों का मूल्य चुका दिया गया। अब परमेश्वर की कठोरता को भी देखें!
पश्चाताप हमारा भाग है
क्या आप देख सकते हैं कि प्रभु यीशु आपके लिए मरें, बह आपके पापों के लिए मरें? वास्तव में किसने प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया? क्या सिर्फ यहूदी शासक या पीलातुस या रोमी सैनिक इसके लिए जिम्मेदार हैं? प्रेरित पतरस ने लोगों की एक बड़ी भीड़ को, जो हजारों की संख्या में थी, उपदेश सुनाया। पतरस का सन्देश अभिप्राय के अनुकूल था: “उस यीशु को तुमने अधर्मियों के हाथ से सलीब पर चढ़ाकर मार डाला” (प्रेरितों के काम २:२३)। क्या आप प्रभु यीशु को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखना चाहेंगे, जिसे सलीब पर चढ़ाया गया और आप अपने पाप को मान लेंगे?
परमेश्वर की पवित्र आत्मा की सामर्थ के द्वारा आप अनुभव करेंगे कि आप बिना सहायता के नष्ट हो चुके हैं। जैसे ही आपके मन में इसका अनुभव होता है, यह बात पाप के प्रति एक बोझ और खेद बन जाएगा। पीड़ित होकर आप चिल्ला उठेंगे: “है परमेश्वर, मुझ पापी पर दया कर!” (लूका १८:१३)। परमेश्वर आपके विश्वास से भरे ईमानदार निवेदन को सुनते हैं, और आपको बचा लेंगे। आपका बोझ चला जाएगा, और आपका नए सिरे से जन्म हो जाएगा। और जब आप प्रभु यीशु के पीछे-पीछे चलने लग जाते हैं, तो आप पाप के प्रारम्भिक मार्ग को छोड़कर स्वर्गीय वस्तुओं की ओर मुड़ जाएंगे। यह पश्चाताप का कार्य है, जो परमेश्वर के द्वारा उन समस्त लोगों के मन में किया जाता है, जो उसके पास आएंगे। तब आपका मन धुल जाएगा और आपके पास शान्ति, आनन्द और सुरक्षा होगी।
अन्त में पश्चाताप प्रभु यीशु मसीह के प्रति और परमेश्वर की इच्छा के प्रति गहरी आभार और निष्ठा में परिवर्तित हो जाएगा | जब हमारे लिए मर जाने के सिवाय और कोई भी दूसरा मार्ग नहीं बचा था, तब प्रभु यीशु मसीह ने कहा: “मेरे पास आओ! और मैं तुम्हे विश्राम दूंगा” (मत्ती ११:२८) | इस कारण “हम उससे प्रेम करते हैं; क्योंकि पहले उसने हमसे प्रेम किया” (१ यूहन्ना ४:१९)।