मुक्ति
हर एक को स्वयं यह महत्वपूर्ण प्रश्न पूछना चाहिए : “उद्धार पाने के लिए मैं क्या करूं ?” कई लोग ऐसा विश्वास करते हैं कि वे बचाए जा चुके हैं , इसके बावजूद यीशु ने कहा: “जो मुझे ‘हे प्रभु’, ‘ हे प्रभु’ कहते हैं, उनमें से हर एक जन स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकेगा; परंतु केवल वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है , परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करेगा ” ( मत्ती ७ : २१ ) । बचाए जाने के लिए इस बात पर विश्वास करना आवश्यक है कि मसीह हमारे पापों को क्षमा करेंगे । उसके पश्चात हम अपने पापों का पश्चाताप करें , एक पवित्र जीवन जीए और एक दूसरे से प्रेम करें । क्योंकि अनेकों धर्मों द्वारा पहले से तैयार की गई बहुत सारी शिक्षाओं के बीच भी यह प्रश्न पूछा जा सकता है कि ‘ वास्तविकता में सत्य क्या है ? ’
आज बहुत सारे लोग उस मनुष्य की तरह है , जिसने कहा : ‘ मैं स्वर्ग में प्रवेश करने के योग्य नहीं , किंतु नरक जाने के लिए इतना बुरा भी नहीं हूं । ’ वे सोचते हैं कि वे इतने तो अच्छे हैं कि परमेश्वर किसी भी तरह से उन्हें स्वर्ग में रहने के लिए घर देंगे ।
क्या पवित्र बाइबल बहुधा पूछे गए इस प्रश्न का उत्तर देती है कि क्या कोई उद्धार का प्रमाण पा सकता है या नहीं ? क्या कोई जान सकता है कि उसके पाप क्षमा किए गए हैं या नहीं ; अथवा क्या इस बात को जानने के लिए न्याय के दिन तक ठहरने की आवश्यकता है ? उसी समय तक के लिए इस अत्यधिक महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर दिए बिना इसे यूं ही छोड़ देना अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण एवं खतरनाक बात है ।
इस पृथ्वी पर दो महान शक्तियां हैं। एक परमेश्वर और उनका राज्य है, और दूसरा शैतान और उसका राज्य है । ये शक्तियां अपनी सेवा में हम को उपयोग करने के लिए हमारी इच्छा की सहमति पाना चाहती हैं।
यीशु कहते हैं कि जब तक हम नए सिरे से जन्म नहीं ले लेते, स्वर्ग के द्वारों हमारे लिए बन्द हैं। इस कारण हम पूछें: मित्र, क्या आपका नए सिरे से जन्म हुआ है? कलीसिया के सदस्य, क्या आपका नए सिरे से जन्म हुआ है? यदि नहीं है, तो आप खोए हुए हैं। क्योंकि प्रभु यीशु कहते हैं: “जब तक कोई मनुष्य नए सिरे से न जन्मे, वह परमेश्वर का राज्य वहीं देख सकता” (यूहन्ना ३:३)।
“ हे परमेश्वर ! आप कहां हैं ?” मुझे आपकी जरूरत है । “ मैं आपको चाहता हूं” “ मैं आपको कैसे पाऊं?” क्या यह आपका हृदय की सच्ची पुकार है ? क्या आप संपूर्ण हृदय से परमेश्वर की खोज कर रहे हैं , उनके पास पहुंच पा रहे हैं, उनको जानने की इच्छा रखते हैं ? लेकिन किसी भी तरह से आप परमेश्वर को पाते नहीं दिख रहे हैं ।
क्या आप जानते हैं कि मनुष्य पवित्र परमेश्वर के द्वारा पाप का दोषी पाया गया है, और उसे मृत्यु की दण्डाज्ञा दी गयी है? यदि उसे इस अनन्त मृत्यु से बचना है और अनंतकाल के लिए उद्धार पाना है, तो उसे परमेश्वर की करुणा को पाने की आवश्यकता है| इस दृष्टि में करुणा का अर्थ है: परमेश्वर का मनुष्य को उस सजा से अलग रखना, जिसका वह योग्य है। किन्तु परमेश्वर बिना शर्त के अपनी करुणा मनुष्य पर प्रतिपादन नहीं करतें, जबकि उद्धार मुफ्त है, उसका कोई मूल्य नहीं और न ही उसे कमाया जा सकता है। जिस शर्त पर परमेश्वर करुणा देते हैं, वह शर्त है पश्चाताप।
जब से आदम और हव्वा ने परमेश्वर की आज्ञा को उल्लंघन किया, तब से सभी लोग पाप के बीज के साथ जन्म लिए हैं। मुझे में है, आप में है, हम सब में है। “इसलिए कि सबने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित है” (रोमियों ३:२३)।