‘ क्या परमेश्वर है ? क्या कोई परम अस्तित्व या ब्रह्मांड का संचालक है ? मैं किस प्रकार से निश्चित हो सकता हूं ? ’ इस प्रश्न का उत्तर अत्यधिक महत्वपूर्ण है । ‘ यदि परमेश्वर है और मैं उसका अनदेखा करता हूं , तो उसका परिणाम क्या होगा ? ’
बहुत से ऐसे सूक्ष्म प्रश्न है , जो उत्तर की मांग करते हैं । ‘ मैं यहां क्यों हूं ? मैं कहां से आया हूं ? मरणोपरांत क्या होगा ? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है ? मेरे अस्तित्व का कोई ना कोई कारण आवश्य है । ’
युगों से लोगों को बाध्य होकर उसको किसी को पूज्य मानकर उसकी आराधना करनी है , जो उससे महान है । प्राचीन संस्कृति में हमें सूर्य देवता , चंद्र देवता , ब्रज देवता तथा अन्य देवता गण देखने को मिलते हैं । जब अमेरिकी आदिवासियों की खोज हुई तो यूरोपयनों ने उन्हें महान आत्मा की पूजा करते हुए पाया । प्राचीन यहूदी पृथ्वी के सृष्टिकर्ता यहोवा की आराधना करते थे । यह बिल्कुल प्रत्यक्ष है कि प्रत्येक व्यक्ति के अंदर एक लालसा है कि उसका संबंध एक महान शक्ति से रहे ।
किस प्रकार से प्रकृति की अनुरूपता एवं संतुलन की व्याख्या की जाए ? आहार की निरन्तर हो रहने वाला प्रक्रिया के विषय में सोचें , जो भूमि पर और जल में है । एक पशु दूसरे के लिए आहार है , जो अपनी पारी से दूसरों को खिलाता है । यह चक्र चलता रहता है और दूसरों के लिए हमेशा भोजन उपलब्ध होता रहता है ।
किसने उन पक्षियों के मस्तिष्क में पचांग दिया , जो उन्हें बताता है कि अब उन्हें गर्म जलवायु की ओर स्थानांतरण करना है ? कैसे वे हजारों मिल सुदूर स्थानों की जलवायु जान लेते हैं कि वहां पर बसंत ऋतु लौट आई है ? कोई कह सकता है कि यह बात उनकी अन्त: प्रेरणा की बात है । यह बिल्कुल सत्य है । परंतु यह अन्त: ज्ञान उन्हें किसने दिया ?
समुद्र की एक प्रकार की मछली पर ध्यान दें ! किसने इस सालमन मछली के मस्तिष्क में एक ऐसा नक्शा डाल दिया , जो उसे बताता है कि सागर में स्थित अपने घर को किस प्रकार से छोड़कर उसे उस नदी और झरने को पाना है , जहां उनका जीवन प्रारंभ होता है ? त्यहां वह अंडा देने के बाद शीघ्र ही मर जाती है और उनके बच्चों को उस जीवन - चक्र को बनाए रखने के लिए बिल्कुल उसी प्रकार करना पड़ता है , जैसे उनके पूर्वजों को करना पड़ता था क्या आप ऐसा सोचते हैं कि यह सब कुछ महज एक मौके की बात है ?
। हम जानते हैं कि यह विश्व इतनी अच्छी तरह से संचालित है कि घड़ियां सूर्य के चक्कर की गति पर और तारों और ग्रहों की सुनिश्चित गति पर मिलाई जाती है । आकाश के गणों के चलना फिरना इतना अचूक है कि सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण कब होगा और आकाश में पुच्छल तारे कब दिखाई देंगे , पहले से बताया जा सकता है । आकाश के यह हमेशा चलते रहने वाले गणों के यह अचूक गति को किसने निर्धारित किया ? समस्त आकाशीय गणों में प्रतिकूल वातावरण के बीच में भी इस पृथ्वी के प्राणियों और पेड़ - पौधों के लिए जो भौतिक तत्वों की आवश्यक है यह सब ठीक - ठीक परिमाण में पाए जाते हैं ; क्या यह सब आपसे आप हुआ ? निसंदेह यह सब कुछ एक बड़ी योजना के तहत होता है !
इस संपूर्ण ब्रह्मांड को , प्रकृति को , दैहिक संरचना और हमारी सारी आवश्यकताओं को स्वर्ग में विराजने वाले महान परमेश्वर ने क्रमबद्ध किया है । किसी भी मरणशील प्राणी के पास , जो था , जो आज है , और जो कल रहने वाला है , ऐसी शक्ति नहीं हो सकती है । उसकी योजना की श्रेष्ठता और सिद्धता हमें बताती है कि उसकी रुचि मनुष्य और उसकी प्रसन्नता में कितना गहरा है ।
विश्वास वह है , जो अनदेखी वस्तु पर किया जाता है । हम परमेश्वर को देख नहीं पाते , किंतु अपनी चारों ओर उन वस्तुओं को देखते हैं , जो उनके अस्तित्व को दर्शाती है । परमेश्वर चाहते हैं कि हम उन्हें नहीं देख पाए , किंतु उन प्रत्यक्ष प्रमाणों को स्वीकार लें , जो उनके अस्तित्व को प्रकट करते हैं । परमेश्वर स्वयं को हम पर तब प्रकट करते हैं जब हम उनके अस्तित्व को स्वीकार लेते हैं ।
जब कोई व्यक्ति परमेश्वर की पहचान में स्वयं को आत्मसात कर लेता है , तब हम अति निश्चित रूप से उसके व्यक्तित्व में परिवर्तन आने से परमेश्वर की उपस्थिति के प्रत्यक्ष प्रमाण को पाते हैं । वे लोग जिनका स्वभाव सिंह जैसा था , मेमने की तरह नम्र हो जाते हैं । जहां पहले घृणा होती थी , वहां अब परस्पर स्नेह होता है । जहां पहले लड़ाई - झगड़ा था , वहां अब शांति है । जहां पहले मन में बौखलाहट मची होती थी , अब विश्राम होता है । और जहां अनगिनत प्रश्न होते थे , वहां अब आत्म दृढ़ता और भरोसा रहते हैं । वह स्वार्थी व्यक्ति से उसे एक ऐसा व्यक्ति बना देता है , जो दूसरों के लिए सोचता है ।
प्रिय पाठक , क्या आप अपने अंतःकरण में एक बेचैनी और कुछ पाने की ललक का अनुभव करते हैं , किंतु आप नहीं जानते हैं कि यह क्या है ? इस अनुभूति को आपको न तो दबाना चाहिए और न ही छुपाना ! यह आपकी आत्मा है जो ईश्वर तक पहुंचाना चाहती है - उसी परमेश्वर तक , जिसने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की है । यदि आपकी आस्था स्वर्ग का परमेश्वर पर है और आप उस पर विश्वास करते हैं , तो आपका जीवन भी बदल जाएगा । आप अपने जीवन की कष्टपूर्ण घटनाओं से परेशान होने के बजाय इस ज्ञान में सुकून पाए कि परमेश्वर आपको देखते हैं , आपकी सुनते हैं और आपको संभालते हैं ।
परमेश्वर स्वयं को अपने वचन पवित्र बाइबल के द्वारा प्रकट करते हैं । पवित्र बाइबल एक इतिहास है , एक भविष्यवाणी और जीवन जीने के लिए एक मार्गदर्शिका भी है । साथ ही , वह हमारे लिए परमेश्वर का प्रेम है और हमारे आत्मा की आंतरिक आवश्यकताओं को भी दिशा निर्देश करती है । पवित्र बाइबल पढ़े ! उत्पत्ति १ : १ और यूहन्ना १ : १ - ५ से आरम्भ करें ! भजन संहिता २३ और ५१ पढ़े ! परमेश्वर से प्रार्थना करें ! उसने प्रतिज्ञा की है कि वह आपको सुनेगा ।