प्रभु यीशु मनुष्य को उसके पाप से बचने के लिए पृथ्वी पर आए । वह नम्रता में , मनुष्य की समानता में सेवक का स्वरूप धारण करके आए ( फिलिप्पियों २: ७ ) । वह इस संसार के पाप के लिए मरे , गाड़े गए और जी उठे ( १ कुरिन्थियों १५: ४ ), और स्वर्ग में चढ़ गए ( प्रेरितों १: ९ ) । वह पुनरुत्थान के पश्चात प्रेरितों और पांच सौ से भी अधिक विश्वासियों के द्वारा देखे गए । स्वर्ग में चले जाने के बाद दो स्वर्गदूतों ने शिष्यों से कहा कि वह उसी प्रकार लौट कर आएंगे , जिस प्रकार से वह गए हैं । केवल परमेश्वर जानते हैं कि प्रभु कब लौटेंगे । उनके लौटने की बात शाम में हो सकती है या मध्य रात्रि में या सुबह में या दोपहर में ( मार्कुस १३: ३५ ) । “ इसलिए तुम भी तैयार रहो ; क्योंकि जिस पल के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी पल मनुष्य का पुत्र आ जाएगा “ (मत्ती २४:४४ ) ।
कुछ लोगों ने तो उसके लौटने का समय यहां तक कि दिन और क्षण की भी भविष्यवाणी की है । “किंतु उस दिन अथवा उसे क्षण के विषय में कोई नहीं जानता , न स्वर्ग के दूध और न पुत्र , परंतु केवल पिता “ ( मत्ती २४:३६ ) । “ वह चमकती हुई बिजली की तरह आएगा , जो पूर्व से पश्चिम तक आकाश में फैल जाती है ( मत्ती २४:२७ ) । वह रात्रि में चोर के समान अचानक आ जाएगा” ( २ पतरस ३:१० ) । “ वह सारी पृथ्वी के सब रहने वालों पर फंदे के समान आ पड़ेगा “ ( लूका २१:३५ ) । प्रभु, अपने असीम ज्ञान में , हर एक को उसके काम के अनुसार फल देने के लिए लौटेंगे ( प्रकाशितवाक्य २२:१२ ) । “जो मैं तुमसे कहता हूं , वही सबसे कहता हूं : जागते रहो! “ ( मरकुस १३:३७ ) । समय और उसके आगमन के चिन्हों प्रभु ने कुछ चिन्ह दिए हैं, जिनके आधार पर हम जान सकते हैं कि उनका आना किस घड़ी निकट है ? “ अंजीर के पेड़ से यह दृष्टांत सीखो ! जब उसकी डाली कोमल हो जाती और उसके पत्ते निकलने लगते हैं , तब तुम जान लेते हो कि ग्रीष्म ऋतु निकट है । इसी प्रकार जब तुम इन सब बातों को देखो , तब जान लेना कि वह निकट है , वरन द्वार पर ही है “ ( मत्ती २४:३२,३३ ) । यह सब बातें होंगी :
१. युद्ध और युद्ध की खबरें मत्ती २४:६
२. एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र पर चढ़ाई करेंगे मत्ती २४:७
३. अकाल ,भूकंप , महामारी मत्ती २४:७
४. अधर्म का बढ़ना , प्रेम का ठंडा पड़ना मत्ती २४:१२
५. झूठे मसीह , झूठे शिक्षकें मत्ती २४:११,२४ ; मरकुस १३:२२
६. नूह के दिनों का समय मत्ती २४ : ३७
७. सूरज, चांद और तारों में चिन्हों लूका २१ : २५
८. देश - देश के लोगों पर घबराहट सहित संकट लूका २१ : २५
९. भय के कारण लोगों में जी ना रहना लूका २१ : २६
१०.लोगों का कहना कि सब कुछ कुशल और सुरक्षित है १ थिस्सलुनीकियों ५ : ३
११. विश्वास से गिरते चले जाना २ थिस्सलुनीकियों २ : ३
१२. संकट पूर्ण घड़ियां २ तीमुथियुस ३ : १ - ५
१३. वासना के पीछे भागना और आडम्बरपूर्ण ईश्वर भक्ति २ तीमुथियुस ३ : १ - ७
१४. बिगड़ते चले जाने वाले दुष्ट लोग २ तीमुथियुस ३ : १३
१५. शारीरिक वासना हेतु धन एकत्र करना याकूब ५ : १ - १५
१६. अबोध हंसी उड़ाने वाले लोग २ पतरस ३ : ३ - १०
१७. अपनी अभिलाषाओं के पीछे भागते ठिठोली करनेवाले लोग। यहूदा १ : १६ , १७, १८
बढ़ते हुए अधर्म और प्रेम का ठंडा होते चले जाने के कारण कई प्रकार की बुराईयां खुद- ब- खुद प्रकट हो रही हैं । अविवाहित स्त्री या पुरुष के साथ व्यभिचार, पर स्त्री या पर पुरुष गमन, तलाक और पुनर्विवाह , समलिंगता और यौन एवं यौन संबंधी अपराध तीव्रता से बढ़ते जा रहे हैं तथा विस्तार पूर्वक प्रबल हो गए हैं । यह सभी और दूसरे प्रकार के पाप प्रभु के लौटने की शीघ्रता को प्रगट कर रहे हैं । यह सब लिखा हुआ है : “ तुम उन बातों को , जो पवित्र नबियों ने पहले से कही है और प्रभु तथा उद्धारकर्ता की उस आज्ञा को स्मरण करो , जो तुम्हारे प्रेरितों के द्वारा दी गई थी” ( २ पतरस ३ : २ ) । उसके आने पर पापी भयभीत होंगे और संत आनंद करेंगे ।
क्या आप तैयार हैं ? क्या आप परमेश्वर और अपने पड़ोसियों या सहजाति या भाई बहनों के संग मेल मिलाप में है ? क्या आपके जीवन में ऐसा कुछ है , जो आपको ‘ है प्रभु यीशु , आ !’ कहने से रोकता है ? ( प्रकाशितवाक्य २२ : २० ) ।