इस पृथ्वी पर दो महान शक्तियां हैं। एक परमेश्वर और उनका राज्य है, और दूसरा शैतान और उसका राज्य है । ये शक्तियां अपनी सेवा में हम को उपयोग करने के लिए हमारी इच्छा की सहमति पाना चाहती हैं।
इस संसार के राज्य का स्वामी शैतान के पास हमारी सेवकाई के लिए अनेकानेक सुख, नाचगाना, प्रदर्शन, जुआ - ताश खेलना, नशीली दवा और मदिरा पीना तथा दूसरे प्रकार के मनोरंजन के साथ रमणीय और आसान जीवन के लिए अनेक प्रकार के प्रस्ताव और प्रतिज्ञाएं हैं। शैतान हमारी स्वार्थ भरी इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए हमारी सहायता करने में आनन्द लेता है । किन्तु प्रिय मित्र, इसके बाद हमसे वह किसी भी बात की प्रतिज्ञा नहीं करता । वह उस महान दिन के विषय में भी हमसे कुछ नहीं कहता, जब हमारे कर्मों का फल हमें मिलेगा, और न ही उस अनन्त आग के बारे में कुछ बताता है, जो 'शैतान और उसके दूतों के लिए तैयार किया गया है', और जो उसकी प्रजा को प्रतीक्षा करती है (मत्ती २५:३० - ४६ ) ; न तो शैतान हमें याद दिलाता है कि वह समस्त पाप, शर्म, निरुत्साह, शोक और इन सब बातों का स्रोत है, जिसका परिणाम शारीरिक और आत्मिक मृत्यु है । ओह, कैसा क्रूर स्वामी !
दूसरा स्वामी प्रभु परमेश्वर हैं। उनकी उच्च स्तर पर विचार करें, जो कहते हैं: "स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है ” (मत्ती २८ : १८ ) । हम जानने के लिए उत्सुक हैं कि हमारी सेवकाई के बदले में इस स्वामी के पास हमें देने के लिए क्या है ? स्वामी अपने शब्दों में कहते हैं: "क्योंकि परमेश्वर ने संसार से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना इकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए” (यूहन्ना ३:१६ ) यह प्रथम महान प्रतिज्ञा है कि हम अन्नतकाल के लिए जीवित रहेंगे । " परन्तु अब सताव के साथ वह इस युग में घरों, भाइयों, बहनों, माताओं, बच्चों और खेतों को सौ गुणा पाएगा, और परलोक में अनन्त जीवन " ( मरकुस १०:३० ) । इस कारण हम देखते हैं कि प्रभु यीशु मसीह के पास वर्तमान काल में और मृत्यु के बाद भी उन समस्त लोगों को, जो पूरे विश्वास के साथ उसकी सेवकाई करते हैं, देने के लिए वह सब कुछ है, जो वास्तविक, आशीषित एवं चिरस्थाही हैं । " जिसे आंख ने नहीं देखा और कान ने नहीं सुना और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी, वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम करनेवालों के लिए तैयार की है” (१ कुरिन्थियों २:९) ।
प्रभु का यह स्वर्गिक इनाम कैसा तेजस्वी होगा ! शैतान के इनाम से कितना भिन्न ! सर्व - शक्तिमान स्वामी से महान आशीष पाने के लिए हमें आवश्यक है कि हम पूरी तरह से अपने आपको उसके अधीन कर दे और सम्पूर्ण दिल से उसके वचन को ग्रहण करके पालन करें। हमारे लिए आवश्यक है कि हम पाप से फिरें, पाप अंगीकार करें और अपने पापमय जीवन का परित्याग कर दें। इसके बाद वह हमें शरीर की अभिलाषाओं से खुद को इनकार करने के लिए कहता है । हमें पवित्र, संयमी और इमानदार जीवन जीने, बीमारों को देखने, निर्धनों की सहायता करने, हर एक से प्रेम करने और सभ लोगों के लिए प्रार्थना करने की आवश्यकता है ।
शैतान की सेवा करने का मेरा खुद का कटु अनुभव है । मेरा ऐसा विचार था कि उसकी सेवा करने और इस संसार की अभिलाषाओं को खोजने पर मुझे एक अच्छा समय मिलेगा। परन्तु मैं ने परमेश्वर की भयकारी न्याय की ओर ध्यान नहीं दिया । किन्तु, एक सुबह, जब मैं अपने बिस्तर पर था, तो विशेष रूप से दयावन्त प्रभु मेरे पास आए और उन्होंने मुझे भयंकर दृश्य दिखाया । एक ओर देखने पर मेरी आंखों ने आग के कुण्ड के समान कुछ देखा । धुआं और पीड़ित ज्वाला ऊपर की ओर उठ रही थी । उसी क्षण कृत्रिम रूप से अथाह कुण्ड में में कैद दुष्ट की सेवकाई करनेवाले लोगों के भयानक परिणाम को मुझे दिखाया गया। यदि मैं अपने पापमय जीवन से नहीं फिरता, तो मेरा भी भाग्य ऐसा ही होता । तब मैंने प्रभु से उत्कृष्ट प्रतिज्ञा की कि यदि वह मुझे ग्रहण करके ऐसे भयंकर दण्ड से बचाते हैं, तो मैं जीवन भर उनकी सेवा करूंगा। मैंने सेवा करने के लिए परमेश्वर को अधिक उत्तम स्वामी पाया, क्योंकि अब मेरे पास वह आनन्द और संतोष है, जिसे शैतान नहीं दे सका। इस अनन्त जीवन का महान इनाम उन सब को दिया जाएगा, जो विश्वास के साथ उसकी सेवा करते हैं । "क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का अनुग्रह का वरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्त जीवन है" (रोमियों ६:२३) ।
प्रिय मित्र, इस प्रेमी एवं सच्चे स्वामी की सेवकाई के लिए उत्साह भरा निमंत्रण आपको दिया जाता है । यीशु ने कहा: “अच्छा चरवाहा मैं हूं..., और मैं भेड़ों के लिए अपना प्राण देता हूं” (यूहन्ना १०:१४-१५) । “जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया ” (यूहन्ना १: १२ ) । अहा, केवल सेवक नहीं, बल्कि पुत्र बनने का यह कैसा सौभाग्य है । शैतान से फिरें, जो आप पर हमेशा के लिए अनन्त विनाश का दण्ड की मोहर लगाने की योजना रखता है। अभी इसी वक्त यीशु के पास आएं और उसे अपना उद्धारकर्त्ता और स्वामी स्वीकार करके अनन्त जीवन का आनन्द उठाएं !