ट्रैक्ट्स
यीशु आपका मित्र मेरा एक मित्र हैं। वह सबसे अच्छा मित्र है ऐसा कोई पहले कभी नहीं हुआ। वह बड़ा दयालू है और सच्चा है मैं चाहता हूं कि आप भी उसे जाने। उसका नाम यीशु है। बड़ी अनोखी बात ये है कि वह आपका भी मित्र बनना चाहता है। मैं उसके बारे में आपको बताना चाहता हूं।
हर एक व्यक्ति किसी न किसी की पूजा करता है । कुछ लोग वस्तु की पूजा करते हैं , तो कुछ लोग मनुष्य की ; कुछ लोग मूर्ति की पूजा करते हैं , तो कुछ लोग अपने आपकी । वे अपने ईश्वर के प्रति अपनी निष्ठा का प्रकटीकरण विभिन्न प्रकार से करते हैं । जबकि अधिक से अधिक लोग इन देवताओं के प्रति अपनी निष्ठा रखते हैं फिर भी उनके मन में एक लालसा और प्यास रह जाती है । यह लोग अपनी आत्मा की पीड़ा से मुक्ति पाने में अस्थायी तौर से आराम तो पा लेते हैं , किंतु भविष्य का सामना करने के लिए उनके पास साहस नहीं होता । उनका भविष्य बीते हुए कल की तरह हमेशा निराशजनक होता है । वह ईश्वर जिसकी सेवकाई वे करते हैं , उनके जीवन के शून्य को भरने में असमर्थ होते हैं ।
‘ क्या परमेश्वर है ? क्या कोई परम अस्तित्व या ब्रह्मांड का संचालक है ? मैं किस प्रकार से निश्चित हो सकता हूं ? ’ इस प्रश्न का उत्तर अत्यधिक महत्वपूर्ण है । ‘ यदि परमेश्वर है और मैं उसका अनदेखा करता हूं , तो उसका परिणाम क्या होगा ? ’ बहुत से ऐसे सूक्ष्म प्रश्न है , जो उत्तर की मांग करते हैं । ‘ मैं यहां क्यों हूं ? मैं कहां से आया हूं ? मरणोपरांत क्या होगा ? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है ? मेरे अस्तित्व का कोई ना कोई कारण आवश्य है । ’
क्योंकि पाप की मजदुरी तो मृत्यु है (रोमियों 6:23) आईये हम वास्तविकता का सामना करें। शराब, ड्रग्स और व्यभिचार जैसे भयंकर दैत्य परमेश्वर का महान और अच्छा सृष्टि पर हमला और उसे नाश कर रहे हैं। एक विशाल आक्टॅपस का स्पर्शक की तरह वे जवान और वृद्ध दोनों को अपनी झपटता और आकर्षित करता है।
नरक का वर्णन नरक कहां है ? नरक का मार्ग कौन नरक जाएगा ? उद्धार न पाने वाले नरक में क्या करेंगे ? क्या परमेश्वर पापियों को सजा देंगे ? नरक से संबंधित बाइबल के शिक्षा पवित्र बाइबल अनंत आग की झील की भयानक सत्यता के विषय में स्पष्ट रूप से सिखाती है । परमेश्वर के द्वारा दिए गए समय में नर्क के इस भयानक दंड से बचने के लिए सब लोगों को सचेत किया जाता है ।
“ हे परमेश्वर ! आप कहां हैं ?” मुझे आपकी जरूरत है । “ मैं आपको चाहता हूं” “ मैं आपको कैसे पाऊं?” क्या यह आपका हृदय की सच्ची पुकार है ? क्या आप संपूर्ण हृदय से परमेश्वर की खोज कर रहे हैं , उनके पास पहुंच पा रहे हैं, उनको जानने की इच्छा रखते हैं ? लेकिन किसी भी तरह से आप परमेश्वर को पाते नहीं दिख रहे हैं ।
आदि में पर्मेश्वर, उसके पुत्र यीशु मसीह, और पवित्र आत्मा थे। उन्होंने पृथ्वी और जो कुछ इसमें है, उन सब कि सृष्टि की। अपने प्रेम में, पर्मेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया और उसे एक सुंदर वाटिका में रखा। मनुष्य ने परमेश्वर के निर्देशों का पालन नहीं किया। यह अनाज्ञाकारिता पाप था और इस पाप ने मनुष्य को पर्मेश्वर से अलग कर दिया। पर्मेश्वर ने उनसे कहा कि अपने पापों कि क्षमा के लिए उन्हें निर्दोष एवम् निष्कलंक छोटे पशुओं का बलिदान देना होगा। इन बलिदानों ने उनके पाप का मूल्य नहीं चुकाया परंतु केवल उस सर्वश्रेष्ठ बलिदान की तरफ इशारा किया जो पर्मेश्वर स्वयं प्रदान करेंगे। एक दिन परमेश्वर अपने पुत्र यीशु को इस पृथ्वी पर भेजेंगे ताकि सभी लोगों के पापों के लिए वह अंतिम और सर्वश्रेष्ठ बलिदान हों।
क्या आप जानते हैं कि मनुष्य पवित्र परमेश्वर के द्वारा पाप का दोषी पाया गया है, और उसे मृत्यु की दण्डाज्ञा दी गयी है? यदि उसे इस अनन्त मृत्यु से बचना है और अनंतकाल के लिए उद्धार पाना है, तो उसे परमेश्वर की करुणा को पाने की आवश्यकता है| इस दृष्टि में करुणा का अर्थ है: परमेश्वर का मनुष्य को उस सजा से अलग रखना, जिसका वह योग्य है। किन्तु परमेश्वर बिना शर्त के अपनी करुणा मनुष्य पर प्रतिपादन नहीं करतें, जबकि उद्धार मुफ्त है, उसका कोई मूल्य नहीं और न ही उसे कमाया जा सकता है। जिस शर्त पर परमेश्वर करुणा देते हैं, वह शर्त है पश्चाताप।
जब से आदम और हव्वा ने परमेश्वर की आज्ञा को उल्लंघन किया, तब से सभी लोग पाप के बीज के साथ जन्म लिए हैं। मुझे में है, आप में है, हम सब में है। “इसलिए कि सबने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित है” (रोमियों ३:२३)।
इस समय आप जीवित है, आप सांस ले रहे हैं, आप चल-फिर रहे हैं या कार्य कर रहे हैं या सो रहे हैं। आप चाहे आरामदायक जीवन जी रहे हैं या फिर पीड़ा में। सूर्य उगता है और ढलता है; कहीं पर किसी बच्चे का जन्म हो रहा है, तो कहीं पर किसी न किसी की मृत्यु भी निरन्तर हो रही है। सम्पूर्ण जीवन केवल एक अस्थायी प्रबन्ध है; लेकिन मृत्यु के पश्चात्आप कहां जाएंगे?