नए सिरे से जन्म लेने का अर्थ क्या है ? किसे नए सिरे से जन्म लेने की आवश्यकता है पश्चाताप विश्वास और आज्ञाकारिता पवित्र आत्मा की सदा रहने वाली उपस्थिति मसीहियों के मन में गहन प्रेम को प्रेरित करती है । वह नए सिरे से जन्म पाने वाले अन्य मसीहियों के साथ सहभागिता की खोज करेगा । इस सहभागिता की एकजुटता एक दूसरे के साथ खुलकर विचार - विमर्श करने के लिए उत्साहित करती है । यह एक मसीही को सहारा प्रदान करती है और आध्यात्मिकता में बढ़ने के लिए सहायता प्रदान करती है ।
आज बहुत सारे लोग उस मनुष्य की तरह है , जिसने कहा : ‘ मैं स्वर्ग में प्रवेश करने के योग्य नहीं , किंतु नरक जाने के लिए इतना बुरा भी नहीं हूं । ’ वे सोचते हैं कि वे इतने तो अच्छे हैं कि परमेश्वर किसी भी तरह से उन्हें स्वर्ग में रहने के लिए घर देंगे । आपके लिए एक आशा है प्रभु यीशु आपको शांति देंगे आप अभी उसकी भेंट को ग्रहण कर सकते हैं आप प्रभु यीशु के साथ जीने का आनंद उठा सकते हैं आप प्रभु यीशु के लिए कार्य कर सकते हैं
क्या पवित्र बाइबल बहुधा पूछे गए इस प्रश्न का उत्तर देती है कि क्या कोई उद्धार का प्रमाण पा सकता है या नहीं ? क्या कोई जान सकता है कि उसके पाप क्षमा किए गए हैं या नहीं ; अथवा क्या इस बात को जानने के लिए न्याय के दिन तक ठहरने की आवश्यकता है ? उसी समय तक के लिए इस अत्यधिक महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर दिए बिना इसे यूं ही छोड़ देना अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण एवं खतरनाक बात है ।
“आओ, एक मनुष्य को देखो! जो कुछ मैंने किया था, वह सब उसने मुझे बता दिया है। कहीं यही तो मसीह नहीं है?” (यूहन्ना ४:२९)। वे सब जो प्रभु यीशु की दाहिनी ओर होंगे, उनसे राजा कहेगा: “है मेरे पिता के धन्य लोगों, आओ! उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिए तैयार किया हुआ है!” (मत्ती २५:३४)। लेकिन वह अपनी बायीं ओर वालों से कहेगा: “हे स्रापित लोगों, मेरे सामने से उस अनन्त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिए तैयार की गयी है!” (मत्ती २५:४१)।
इस पृथ्वी पर दो महान शक्तियां हैं। एक परमेश्वर और उनका राज्य है, और दूसरा शैतान और उसका राज्य है । ये शक्तियां अपनी सेवा में हम को उपयोग करने के लिए हमारी इच्छा की सहमति पाना चाहती हैं।
एक दिन यीशु अपने मित्रों के साथ यात्रा कर रहे थे । वह सामरिया के एक गांव में आए । यीशु विश्राम करने के लिए एक कुएं के पास बैठे , जब उनके मित्र भोजन खरीदने के लिए गए । जब यीशु वहां बैठे हुए थे, एक स्त्री कुएं से जल भरने के लिए आई । यीशु ने उससे पूछा , “ क्या तुम मुझे पानी पिला सकती हो ? “ यीशु ने कोमलतापूर्वक उत्तर दिया , “वास्तव में यदि तू परमेश्वर और जिससे तू बातें कर रही है उसके विषय में जानती
मेरे पास आपके लिए एक अच्छी खबर है ! कोई है जो आपका सहायता कर सकता है । वह आपके पापों को क्षमा कर सकता है और आपको स्थायी खुशी दे सकता है । उनका नाम यीशु है । मैं आपको उनके विषय में बताता हूं । उनका पिता परमेश्वर जिसने संसार को बनाया है । उन्होंने संसार में सब कुछ बनाया है। उन्होंने आपको और मुझे बनाया है । वह तुरंत उठ खड़ा हुआ और उसके पिता के घर की ओर जाना शुरू किया । वह देखेगा कि यदि उसका पिता फिर भी उसे प्रेम करता है ।
परमेश्वर जानता था कि वे कहाँ छुपे हैं। वह आया और आदम को पुकारा। परमेश्वर ने उससे कहा कि उनकी अनआज्ञाकारिता के कारण उन्हें वह घर अर्थात सुन्दर वाटिका छोड़ के जाना होगा। यीशु आया! उन्होंने शिक्षा दिया कि सभी ने पाप किया है। पापियों का मृत्यु अनिवार्य है। यीशु ने हमसे इतना प्रेम किया कि उन्होंने परमेश्वर से कहा कि सभी के पाप के लिए वो मरेंगें। जिन्होंने पाप किया है वह उन प्रत्येक के लिए मरा। अंत में घर। हमारे उद्दारकर्ता यीशु के साथ स्वर्ग में घर।
यीशु कहते हैं कि जब तक हम नए सिरे से जन्म नहीं ले लेते, स्वर्ग के द्वारों हमारे लिए बन्द हैं। इस कारण हम पूछें: मित्र, क्या आपका नए सिरे से जन्म हुआ है? कलीसिया के सदस्य, क्या आपका नए सिरे से जन्म हुआ है? यदि नहीं है, तो आप खोए हुए हैं। क्योंकि प्रभु यीशु कहते हैं: “जब तक कोई मनुष्य नए सिरे से न जन्मे, वह परमेश्वर का राज्य वहीं देख सकता” (यूहन्ना ३:३)।
एक सही एवं भरोसेमंद भवन का निर्माण तभी संभव है, जब साहुल कहलानेवाले यंत्र का प्रयोग किया गया हो । बिना उसके मकान बनानेवाला कारीगर चाहे कितना भी दक्ष और ईमानदार क्यों ना हो, संभवतः खतरनाक गलतियां करेगा। उसी प्रकार यह आवश्यक है कि हमारा जीवन और विश्वास परमेश्वर के वचन रूपी साहुल से निर्देशित हो । पढ़ें भजन संहिता ११९ : १०५ ; २ तीमुथियुस ३ : १५ - १७ ; आमोस ७ : ८ !
यीशु आपका मित्र मेरा एक मित्र हैं। वह सबसे अच्छा मित्र है ऐसा कोई पहले कभी नहीं हुआ। वह बड़ा दयालू है और सच्चा है मैं चाहता हूं कि आप भी उसे जाने। उसका नाम यीशु है। बड़ी अनोखी बात ये है कि वह आपका भी मित्र बनना चाहता है। मैं उसके बारे में आपको बताना चाहता हूं। यीशु इस पृथ्वी पर एक छोटे नन्हे बच्चे के रूप में आया। पृथ्वी पर उसके पिता और माता, युसूफ और मरियम थे। वह गौशाला में पैदा हुआ तथा चरणी में रखा गया।
आप किसकी पूजा या आराधना करते हैं ? आपका ईश्वर कहां रहता है ? क्या वह जीवित है ? आज उसने आपके लिए क्या किया ? क्या आज आपने उससे बातचीत की ? क्या उसने आपके मन की पुकार का उत्तर दिया ? आप क्या विश्वास करते हैं ? वह सनातन परमेश्वर है । उसका ना तो कोई प्रारंभ है और ना ही कोई अंत । वह जैसा कल था , आज भी है और हमेशा रहेगा । वह समस्त वस्तुओं के सृष्टिकर्ता , रक्षक एवं जीवित रखनेवाले हैं । ( प्रेरितों १७ : २२ - ३४ )
‘ क्या परमेश्वर है ? क्या कोई परम अस्तित्व या ब्रह्मांड का संचालक है ? मैं किस प्रकार से निश्चित हो सकता हूं ? ’ इस प्रश्न का उत्तर अत्यधिक महत्वपूर्ण है । ‘ यदि परमेश्वर है और मैं उसका अनदेखा करता हूं , तो उसका परिणाम क्या होगा ? ’ बहुत से ऐसे सूक्ष्म प्रश्न है , जो उत्तर की मांग करते हैं । ‘ मैं यहां क्यों हूं ? मैं कहां से आया हूं ? मरणोपरांत क्या होगा ? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है ? मेरे अस्तित्व का कोई ना कोई कारण आवश्य है । ’
क्योंकि पाप की मजदुरी तो मृत्यु है (रोमियों 6:23) आईये हम वास्तविकता का सामना करें। शराब, ड्रग्स और व्यभिचार जैसे भयंकर दैत्य परमेश्वर का महान और अच्छा सृष्टि पर हमला और उसे नाश कर रहे हैं। एक विशाल आक्टॅपस का स्पर्शक की तरह वे जवान और वृद्ध दोनों को अपनी झपटता और आकर्षित करता है। मादक का इस्तेमाल, आम लोगों का आदर्श को बुरी तरह से भ्रष्ट करता है। विचार, चरित्र और जीवन को नाश करता है। यह मनुष्यों के जीवन में आशीष के लिए दिया हुआ परमेश्वर का पवित्र संस्थापन परिवार को विभाजित और विनाश करता है।
नरक का वर्णन नरक कहां है ? नरक का मार्ग कौन नरक जाएगा ? उद्धार न पाने वाले नरक में क्या करेंगे ? क्या परमेश्वर पापियों को सजा देंगे ? नरक से संबंधित बाइबल के शिक्षा पवित्र बाइबल अनंत आग की झील की भयानक सत्यता के विषय में स्पष्ट रूप से सिखाती है । परमेश्वर के द्वारा दिए गए समय में नर्क के इस भयानक दंड से बचने के लिए सब लोगों को सचेत किया जाता है । नरक का वर्णन नरक कहां है ? नरक का मार्ग कौन नरक जाएगा ?
“ हे परमेश्वर ! आप कहां हैं ?” मुझे आपकी जरूरत है । “ मैं आपको चाहता हूं” “ मैं आपको कैसे पाऊं?” क्या यह आपका हृदय की सच्ची पुकार है ? क्या आप संपूर्ण हृदय से परमेश्वर की खोज कर रहे हैं , उनके पास पहुंच पा रहे हैं, उनको जानने की इच्छा रखते हैं ? लेकिन किसी भी तरह से आप परमेश्वर को पाते नहीं दिख रहे हैं ।
मरियम और स्वर्गदूत यीशु का जन्म चरवाहे ज्योतिषी पर्मेश्वर के उपहार का कारण यद्धपि यीशु दुष्ट मनुष्यों के द्वारा मार डाला गया, परंतु मृत्यु का उस पर कोई बल नहीं था। तीन दिन बाद वह कब्र से विजयी होकर जी उठा। उसके जी उठने के बाद के दिनों तक, यीशु बहुत से लोगों के द्वारा देखा गया। फिर एक दिन, अपने चेलों को आशीष देने के बाद, वह स्वर्ग में चला गया।
सब ने पाप किया है पाप सम्बन्ध-विच्छेद करता है प्रभु यीशु द्वार खोलते हैं पश्चाताप हमारा भाग है अन्त में पश्चाताप प्रभु यीशु मसीह के प्रति और परमेश्वर की इच्छा के प्रति गहरी आभार और निष्ठा में परिवर्तित हो जाएगा | जब हमारे लिए मर जाने के सिवाय और कोई भी दूसरा मार्ग नहीं बचा था, तब प्रभु यीशु मसीह ने कहा: “मेरे पास आओ! और मैं तुम्हे विश्राम दूंगा” (मत्ती ११:२८) | इस कारण “हम उससे प्रेम करते हैं; क्योंकि पहले उसने हमसे प्रेम किया” (१ यूहन्ना ४:१९)।
जब से आदम और हव्वा ने परमेश्वर की आज्ञा को उल्लंघन किया, तब से सभी लोग पाप के बीज के साथ जन्म लिए हैं। मुझे में है, आप में है, हम सब में है। “इसलिए कि सबने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित है” (रोमियों ३:२३)। अब क्या? मैं अपने डोरी के सिरे पर हूँ लेकिन यह क्या? विश्वास में चलना
इस समय आप जीवित है, आप सांस ले रहे हैं, आप चल-फिर रहे हैं या कार्य कर रहे हैं या सो रहे हैं। आप चाहे आरामदायक जीवन जी रहे हैं या फिर पीड़ा में। सूर्य उगता है और ढलता है; कहीं पर किसी बच्चे का जन्म हो रहा है, तो कहीं पर किसी न किसी की मृत्यु भी निरन्तर हो रही है। सम्पूर्ण जीवन केवल एक अस्थायी प्रबन्ध है; लेकिन मृत्यु के पश्चात्आप कहां जाएंगे? किन्तु कहां? आपकी आत्मा कभी नहीं मरेगी! स्वर्ग और पृथ्वी के परमेश्वर ने कहा है; “स्मस्त आत्माएं मेरी हैं” निसंदेह ये सब आवश्यक हैं। लेकीन
समस्त कहानियों के बीच यीशु मसीह के जन्म की कहानी मसीहियों के मन के सबसे निकट है । सारे युगों में यह एक महान आश्चर्यकर्म है । इसमें मानव जाति के प्रति परमेश्वर का प्रेम प्रदर्शित है । मनुष्य ने पाप के कारण खुद को परमेश्वर की संगति से अलग कर दिया । अदन की वाटिका में आदम और हव्वा ने पाप करने के पश्चात परमेश्वर ने उनसे उद्धारकर्ता की प्रतिज्ञा की ( उत्पत्ति ३ : १५ ) । जो कुछ खो गया था , उसे वापस लाना या उद्धार करना परमेश्वर की योजना थी ।
१. युद्ध और युद्ध की खबरें मत्ती २४:६ २. एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र पर चढ़ाई करेंगे मत्ती २४:७ ३. अकाल ,भूकंप , महामारी मत्ती २४:७ ४. अधर्म का बढ़ना , प्रेम का ठंडा पड़ना मत्ती २४:१२ ५. झूठे मसीह , झूठे शिक्षकें मत्ती २४:११,२४ ; मरकुस १३:२२ ६. नूह के दिनों का समय मत्ती २४ : ३७ ७. सूरज, चांद और तारों में चिन्हों लूका २१ : २५ ८. देश - देश के लोगों पर घबराहट सहित संकट लूका २१ : २५ ९. भय के कारण लोगों में जी ना रहना लूका २१ : २६
एक समय था, जब इस संसार में कुछ भी नहीं था।न कोई मछली, न आकाश में कोई तारा, न कोई समुद्र और न ही सुन्दर-सुन्दर फूल।सब कुछ शून्य और अन्धकार पूर्ण था।किन्तु परमेश्वर था। परमेश्वर के पास एक सुन्दर योजना थी। उसने एक सुन्दर संसार के विषय में सोचा और जब उसने सोचा, तब ही उसने उसकी रचना कर डाली। उसने उसकी रचना शून्यता में से की। जब परमेडवर ने किसी भी वस्तु की रचना की, तो उसने मात्र इतना भर कहा, “हो जा” और वह वस्तु बन गयी। १) तू मुझे छोड़ दूसरों को ईइबर कहकर न मानना।
प्रार्थना एक नम्र विनती है। जो यीशु मसीह का नाम में पिता परमेश्वर से करना है। स्वयं को स्वर्गीय प्रेमी पिता के सामने प्रकट करना ही प्रार्थना है। प्रार्थना में हमारी आत्मा शब्दों के द्दारा या हमारे मनों के विचार के द्दारा परमेश्वर से बाते करती है। परमेस्वर चाहता है कि हम उसके साथ बातें करें। हम उसके पास धन्यवाद के साथ या विनती के साथ या फिर निराशा के साथ आ सकते है। हमारे पास अपना कोई योग्यता नहीं है; हम सिर्फ यीशु मसीह के द्दारा प्रार्थना में परमेश्वर के पास आ सकते हैं।